बकायन के 9 फायदे, उपयोग एवम् हानियां

बकायन के फायदे एवम् उपयोग - bakayan ke fayde


यहां हम आपको बकायन के फायदे, उपयोग और हानियां, के बारे मे बताने जा रहे हैं । बाकायन का पेड़़ - bakayan ka ped काफी विषैला होता है । इस लिए बकायन के किसी भी भाग का उपयोग सावधानी पूर्वक एवं उचित मात्रा में करना चाहिए । बकायन की खेती विशेष रूप से, उत्तर भारत, पंजाब व दक्षिण भारत में की जाती है ।

महानीम का पेड़ कैसा होता है?

बकायन का पेड़ नीम से मिलता जुलता होता है, अक्सर लोग नीम और bakain का अंतर लोग नहीं कर पाते है । बकायन के वृक्ष नीम की भाँति माध्यम आकार के होते है। यह 20 से 40 फिट ऊंचे होते हैं।फगुन और चैत्र मास मे बकैन का पेड़ से दूधिया रस निकलता है, ऐसी अवस्था में कोमल पत्तियो को छोड़ कर कोई भाग के क्वाथ अथवा रस का प्रयोग नही करना चाहिए ।


फगुन और चैत्र मास मे बकैन का पेड़ से दूधिया रस निकलता है, ऐसी अवस्था में कोमल पत्तियो को छोड़ कर कोई भाग के क्वाथ अथवा रस का प्रयोग नही करना चाहिए ।


Uses of bakain in hindi
bakayan ke beej


बकायन के फल की उपेक्षा बकायन की छाल व फूल कम विषैले, बकायन के बीज सबसे अधिक विषैले और बकायन के पत्ते - bakayan ke patte कम विषैले व नुकसान रहित होते है ।

बकायन का वैज्ञानिक नाम Meliaazedarach L. है । ये  meliaceae कुल का पेेेड़ है । अंग्रेजी में इसे Bead tree कहते हैं । आम भाषा में इसे bakain tree कहते हैं । इसे अलग अलग भाषाओ मे निम्न नामो से जाना जाता है ।

बकायन के अन्य नाम:-

हिंदी  -  बकैन, महा नीम, बकायन, 

संस्कृत - माहनिम्ब, दरेक

गुजराती - लिंमदो

मराठी - बकाना निम्ब

बंगाली - घोड़ा निम्ब

पंजाबी - दरेक

फारसी - आजाद दरख़्त

अरबी - हरबित

बकायन के फायदे-bakain tree in hindi


1.  यह वात व पित नाशक होता है।

2. बकायन से कुष्ट रोगों का इलाज
किया जा सकता है ।

3. यह रक्त विकारो को दूर करता है ।

4. बकायन बवासीर मे बहुत उपयोगी है।

5. यह चुहो के विष को दूर करता है ।

6. इससे शवास रोगों का भी उपचार किया जाता है ।

7. इससे वमन, प्रमेह, गुल्म आदि रोगों का इलाज किया जा सकता है


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बकायन के पेड़ के औषधीय गुण - bakayan ke ped aushdhiye gun


बकायन के उपयोग, लाभ और हानियां, बकायन - bakayan से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है । बवासीर, नेत्ररोग, मुह के छाले, पेट मे दर्द, आँतो के कीड़े, प्रमेह, श्वेतप्रदर, खुजली, पेट के कीड़े, अर्श के रोग में बकायन के उपयोग अनेक होते हैं ।

बकायन के फायदे - benefits of bakayan in Hindi


1. अर्श में बकायन के बीज के फायदे - Bakayan seeds for Piles


1.1. बकायन के बीज के बवासीर में उपयोग - bakayan ke beej for piles, सूखे हुए बीजों को पीस कर इसकी दो ग्राम मात्रा पानी से सुबह शाम उपयोग करने से खूनी बादी दोनो प्रकार की बवासीर मे लाभ होता है।

1.2. इसके 8 से 10 पके फल के बीज जो की जमीन पर गिर जाते है, इन्हें लेकर पानी के साथ पीस कर झाड़ी बेर के आकार की गोली बना ले तथा छाया मे सुखा कर इसकी एक-एक गोली सुबह शाम बांसी जल के साथ सेवन करे

तथा 1 गोली गुड़ के पानी के साथ घिस कर मस्सो पर लगाने से मस्से झड़ जाते है

1.3. बकायन के बीज - bakayan ke beej की गिरी तथा सौंफ बराबर मात्रा लेकर पीस कर चूर्ण ( bakayan seed powder) बना ले । इसमे बराबर की मात्रा मे मिश्री मिला कर इसकी दो ग्राम की मात्रा दिन मे तीन बार उपयोग करने से बवासीर ( अर्श ) मे फायदे होते है ।

2. पेट के कीड़े में बकायन के फायदे - benefits of bakayan in hindi


बकायन  bakain की 50 ग्राम ताजी छाल को कूट कर 300 मिली पानी मे क्वाथ बनाए जा चौथा हिस्सा  रह जाये तो बच्चो को एक बड़ा चम्मच सुबह शाम 20 दिन तक पिलाने से आंत के कीड़े नष्ट हो जाते है ।

3. मुंह के छाले में बकायन के फायदे - bakayan ke fayde


20 ग्राम छाल को जला कर, 10 ग्राम सफेद कथे के साथ पीस कर मुह के अंदर बुरकने से लाभ होता है ।


4. आँखों के रोग में बकायन का  उपयोग - uses and benefits of bakayan in hindi


मोतिया बिंद या दृष्टि कमजोर होना आदि नेत्र विकार मे बकेन के एक कि. ग्राम ताजे पत्ते पीस कर, निचोड़ कर रस निकाल ले, इस रस को पथ्थर के खरल मे घोट कर सुखा ले, दुबारा फिर दो बार खरल करे । पीसते समय इसमे 3 ग्राम भीमसेनी कपूर मिला ले, इससे प्रातः शाम आंखों मे अंजन करने से मोतिबिन्द, तथा अन्य रोग जैसे आंखों मे लालिमा, आंखों से पानी निकलना, आंखों की कमजोरी, रोंहे आदि विकार दूर हो जाते ।

5. खुजली के रोग में बकायन के उपयोग - uses of bakayan in hindi


5.1 .  इसके 10 से 20 ग्राम फूलो को पीस कर लेप लगाने से त्वचा के फोड़े फुंसी, खुजली आदि रोग मिटते है ।

5.2 . बकायन - के 8 से 10 सूखे फलों को 50 ग्राम सिरके मे पीस कर त्वचा पर लगाने से त्वचा के कृमि संबंधित रोग मिटते है ।

5.3 . इसके 50 मिली रस को सिर पर लगाने से सिर की छोटी छोटी फुंसिया, पीप युक्त फुंसिया, सिर के चमड़े की पपडिया ठीक हो जाती है ।



6. गर्भाशय के रोग में बकायन के फायदे - benefits of bakain tree in hindi


6.1. बकायन को फूल - bakayan ke phool की 5 ग्राम रस की मात्रा एक चम्मच शहद के के साथ नियम पूर्वक सुबह शाम चाटने से मासिक धर्म की रुकावट दूर होती है।

6.2 . गर्भाशय की शुद्धि के लिए बकायन की पत्ती के स्वारस रस की 10 ग्राम मात्रा मे अकरकरा के रस या चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा मिला कर सुबह शाम खाली पेट पिलाने से लाभ होता है ।

6.3. अगर मासिक धर्म मे रक्त प्रवाह जरूरत से ज्यादा हो रहा हो तो बकायन की पत्ती  bakayan ke patte के स्वारस की 5 ग्राम मात्रा देने से मासिक धर्म नियंत्रित होता है । अगर मासिक धर्म मे अवरोध हो तो वह भी इससे ठीक हो जाता है ।

7. चोट की गांठ व सूजन में बकायन के पत्ते का उपयोग - bakayan ke patte ka upyog


चोटिल स्थान पर रक्त जमने के कारण आयी सूजन पर बकायन के 10 से 20 पत्रो को पीस कर पुल्टिस बंधने से गाँठो का रक्त फैल कर लाभ होता है ।

8. गठिया में  बकायन के बीज के फायदे -  bakain ke beej ke fayde


इसके बीजो को सरसों के बीजो के साथ पीस कर लेप करने से गठिया मे लाभ मिलता है ।

9. घाव में बकायन के फायदे - bakayan ke fayde


बकायन - bakain के पत्तो के रस से घाव धोने पर लाभ होता है । घावो पर पर 8 से 10 पत्तो का लेप बनाकर लगाने से भी लाभ होता है, शरीर का अंग कट जाए तो भी इसके पत्तो को पीस कर इसका लेप करते है ।
        

बकायन के पेड़ के नुक़सान - side efects of bakayan in hindi


बकायन पेड का कोई भी भाग खाने की अधिकता, यकृत व अमाशय के लिए हानिकारक है, बकायन - bakayan की अधिकता से होने वाले साइडइफेक्ट को शांत करने  के  लिए सौंफ़ खाना चाहिए, इसके विषैले गुण के कारण इसकी अधिक मात्रा का इस्तेमाल नही करना चाहिए, मजीठ व जावित्री गुणों मे इसके प्रतिनिधि द्रव्य है ।

बकायन का पेड़ नीम की तरह छायादार तथा कड़वा होता है इसकी छाया फायदे मंद होती है, बकायन के पेड़ के किसी भी अंग का प्रयोग सावधानी पूर्वक अच्छे वैध की सलाह से करना चाहये, हमने  बकायन  के फायदे का वर्णन ऊपर किया है ।

उम्मीद करते है की आपको यह लेख पसंद आया होगा अत्यन्त गंभीर रोगों मे इसका इस्तेमाल  अच्छे  वैध की सलाह से करें, इस लेख मे बकायन के फायदे - benefits of bakain in hindi का वर्णन किया गया है । इस पोस्ट को लिखने का एक मात्र उद्देश्य लोगों को आर्युवेद के प्रति जागरूक  करना है।  
धन्यवाद ।