गूलर के पेड़ का महत्व रक्तपित्त, खूनी डायरिया में

 गूलर का पेड़ - gular tree in hindi


इस लेख में गुलर का पेड़ का रक्तपित्त, खूनी डायरिया में महत्व, गूलर के फल का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है, आर्युवेद के अनुसार गूलर सभी पुष्टिदायक द्रव्यो में से एक है । अंग्रेजी में इसे cluster fig अथवा country fig के नाम से जाना जाता है । इंडिया में इसे गूलर, उम्बर, ऊबरो, डिमरी, आति, आदि नामों से जाना जाता है । हेमदुग्धक, जंतु फल व सदा फल आदि नामों से भी प्रसिद्ध है




कुछ लोग इसे अंजीर भी बोलते हैं, गूलर के पेड़ को किसी भी स्थान से काटने पर दूध निकलता है इस लिए इसे हेमदुग्धक कहा जाता है, तथा कीट होने के कारण जंतूफल कहते हैं । गूलर का पेड़ -  gular ka ped का महत्व आर्युवेद में बहुत है ।


गूलर का पेड़
गूलर का पेड़

आर्युवेद में इसे पुष्टिदायक माना गया है । कहते हैं, अगर गूलर के चूर्ण व विदारीकन्द के मिश्रण को घी मिले दूध के साथ सेवन करने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है । गूलर के पेड़ के फल 1 से 2 इंच व्यास के गोलाकार होते हैं । गूलर के फल गुच्छों में बिना पत्ती की शाखाओं पर लगते हैं, यह फल जब कच्चे होते हैं, तब हरे व पकी अवस्था में लाल रंग के हो जाते हैं ।

गूलर में tanin, मोम, रबड़,  तथा भस्म में फास्फोरिक एसिड व सिलिका आदि पाए जाते हैं ।



गूलर के पेड़ के गुण फायदे - gular tree in hindi


गूलर की छाल व कच्चे फल इस्थंबन, व अग्नि सादक होते हैं । गूलर प्रमेह नाशक, पितनशक, जलन को शांत करता है । यह शीतल व रक्त संग्रहिक होता है । गूलर के पेड़ का महत्व प्रमेह में बहुत अधिक है । गूलर से खूनी पित्त, खूनी पेचिस, नाक से खून आना, पेशाब में खून आना, मसिकधर्म आदि खूनी रोगों का इलाज विशेष रूप से किया जाता है और लाभ होता है ।

गुलर का पेड़ के औषधीय उपयोग - gular tree in hindi


1. रक्तपित्त, रक्तप्रमेह रक्त अतिसार में गूलर के फायदे - diarrhea meaning in hindi


  • गूलर के सूखे हुए कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें, इस मिश्रण के 5 से 10 ग्राम तक की मात्रा ताजे पानी के साथ 21 दिन तक सुबह शाम पीने से रक्त प्रमेह, रक्तअतिसार, अत्यधिक रक्तस्राव, रक्तपित्त में पूरी तरह फायदा करता है ।
  • पांच ग्राम सूखे हुए हरे फल को पानी के साथ पीस कर मिश्री मिलाकर पिलाने से भी रोगी को लाभ मिल जाता है ।
  • शरीर के किसी भी भाग से खून बहता हो और सूजन हो इस तरह के रोग के लिए गूलर बहुत ही उत्तम दवा है। नाक से खून बहता हो, मासिक धर्म अधिक होता हो, पेशाब में खून आता हो ऐसे रोग में गूलर के पेड़ 2 से 3 पके फलों को शक्कर के साथ सुबह दोपहर शाम देने से जल्दी ही आराम हो जाता है ।
  • गूलर के पेड़ की छाल की 20 से 30 ग्राम मात्रा को पानी में पीस कर तालू में लगने से नकसीर का होना बंद हो जाता है ।
  • गूलर के पत्ते के पांच ग्राम मात्रा का रस निकाल कर शहद के साथ मिला कर देने से रक्त पित्त ठीक हो जाता है । इस प्रयोग से रक्तअतिसार में भी फायदा होता है ।
  • गूलर की जड़ ताजी की 30 ग्राम मात्रा को कूट कर इसका क्वाथ बनाकर 3 महीने तक नियमित रूप से सुबह शाम पीने से गर्भपात नहीं होता है । गूलर की जड़ की जगह  5 से 10 ग्राम गूलर की जड़ की छाल का भी प्रयोग कर सकत हैं ।
  • गूलर के फल 5 ग्राम चूर्ण को कमल गट्टे को दूध के साथ दिन में तीन बार पिलाने से रुधिर वमन ( खूनी उल्टी) होना बंद हो जाती है ।


2.अतिसार में गूलर के पत्ते का महत्व -gular in hindi


  • अतिसार के लिए गूलर के पत्ते - gular ke patte का चूर्ण 3 ग्राम व 2 नग कालीमिर्च, थोड़े से चावल के धोवन के साथ बारीक पीस कर इसमें कला नमक व छाछ मिलाकर, छानकर सुबह शाम सेवन करने से फायदा होता है ।
  • आंव तथा अतिसार में गूलर की जड़ के चूर्ण की 3 से 5 ग्राम मात्रा को ताजे पाने के साथ फंकी लेने से लाभ होता  है ।
  • गूलर के दूध की 4 से 5 बूंद बताशे में डालकर खाने से अतिसार मिटता है । गूलर के फल खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है ।

3. प्रमेह में गूलर के फल का उपयोग - gular ke fal ka upyog


  • गूलर के फल के सूखे छिलके बीज रहित लेकर पीस लें, इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर इसकी 6 ग्राम मात्रा सुबह शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से पित्त प्रमेह में लाभ होता है।
  • पुए प्रमेह में गूलर के कच्छे फलों का महीने चूर्ण में बराबर मात्रा में खांड मिलाकर 5 से 6 ग्राम की मात्रा लस्सी के साथ सेवन करने से लाभ होता है ।

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गूलर का फल,
गूलर के पत्ते व फल

4. बजीकरण में गूलर के फल का उपयोग - gular ke fal ka upyog


गूलर के फल तथा बिद्री के कांड का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर इसमें 4 से 6 ग्राम मिश्री मिलाकर, घी मिले दूध के साथ सेवन करने से पुरुष शक्ति में वृद्धि होती है । इसे स्त्रियां भी प्रयोग कर सकती हैं, इससे समस्थ स्त्री रोग दूर हो जाते हैं।

5. गूलर के अन्य फायदे - gular tree in hindi


  •  पित्त ज्वर व दाह में गूलर की गोंद व 3 ग्राम शक्कर को मिलाकर फंकी लेने से लाभ होता है ।
  • गूलर के पत्ते - gullar ke patte को पीस कर शहद के साथ मिलाकर चाटने से पित्त विकार में आराम मिलता है ।
  • गूलर पेड़ की ताजी जड़ के 5 से 10 ग्राम रस में शक्कर मिलाकर सुबह शाम देने से तृष्णा युक्त ज्वर या पित्त ज्वर उतर जाता है।
  • गूलर के रस की 5 से 10 मिली मात्रा में मिश्री मिला कर सुबह शाम पीने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है ।
  • अर्श में फायदा करते हैं गूलर के पत्ते, इसके कोमल पत्ते 10 से 15 ग्राम को बारीक पीस कर, एक पाव गाय के दूध की दही में सेंध नमक मिलाकर, के साथ सुबह शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है ।

विशेष


गूलर का प्रयोग बहत से रोगों में किया जाता है । कुछ लोग इसे अंजीर के नाम से पुकारते हैं, इसके फल में कीट  पाए जाते हैं, फल को तोड़ने से कीट उड़ जाते हैं । फिर भी इसे सफाई से खाना चाहिए ।

इसका प्रयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए । कभी कभी इसकी अधिक मात्रा नुकसान दायक होती है, इस लेख में हमने गूलर का पेड़ का महत्व - gular ka ped के बारे में आपको बताया है । आशा करता हूं आपको यह लेख पसंद आया होगा ।
धन्यवाद
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