बहेड़ा के गुण फायदे उपयोग एवम् नुकसान ( baheda ke fayde)

बहेड़ा के फायदे - baheda ke fayde


बहेड़ा पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है, खासतौर से यह निचले पर्वतीय प्रदेशों mencadhik होता है, बहेडे के पेड़ से फरवरी मार्च में पत्ते झड़ते हैं । फिर इस पर तांबे के रंग की कोपल निकलती है, फिर इसके साथ ही मई में बहेदे के पेड़ पर फूल आते हैं, फिर फल बक्र अगली जनवरी फरवरी तक फल पक जाते हैं । बहेडे का वृक्ष 60 से 80 फिट तक ऊंचा होता है ।




baheda ke beej
baheda ke beej

बहेड़ा के पेड़ का स्वरूप


बहेड़ा के फूल सफेद अथवा पीले रंग के होते हैं । इसका फल आधा इंच व्यास का होता है । फल सुख कर धारीदार वी पंचकोणीय जैसा हो जाता है । बहेड़ा में एक बीज निकलता है ।

रासायनिक संगठन - Rasayanic sangthan


बहेड़ा के फल में tanin, बी- सिस्टरोल, गेलिक एसिड, मैनिटोल, ग्लूकोज, ग्लैक्टोज, फ्रक्टोज, रेमनोंज, आदि तत्व पाए जाते हैं । बहेड़ा की बीज मज्जा में चमकीले पीत वर्ण का एक स्थिर तेल पाया जाता है ।

बहेड़ा का वैज्ञानिक नाम है Terminalia bellirika(Gaertn.) Roxb. यह comretaceae कुल का पौधा है । अंग्रेजी में इस baheda के नाम से जानते हैं।
इसके नाम के निम्न मीनिंग हैं ।

संस्कृत - विभितक, अक्ष, कर्श फल

हिंदी    - बहेड़ा

मराठी  - बहेड़ा

गुजराती - बहेड़ा

बंगाली   - बायडा

पाजाबी  - बेहड़ा

तेलगु     - वडिकाय

अरबी    - ब्लेलज

बहेड़ा के गुण -baheda ke gun


बहेड़ा तीनों दोषों वात, पित्त कफ तीनों दोषों को हरने वाले होता है । लेकिन इसका प्रयोग कफ से उत्तपन्न रोगों को दूर करने में किया जाता है । बालों की वृद्धि, आंखों के लिए, नाक के रोग, खून के दोष, गले के रोग, खांसी, एवम् हृदे रोग में बहेड़ा के फायदे होते हैं ।

आंखों के फूली का नाश करती है । बहेड़ा के बीज कड़वे , वामन नाशक तरह वाथर होते हैं, यह ब्रोंकाइटिस में भी फायदे करता है । बहेड़ा के फल का छिलका कफ नाशक होता है । बहेड़ा की गिरी वेदनशमक तथा शोथ हर होती है ।


बहेड़ा के फायदे-Baheda ke fayde


1. आमाशय में बहेड़ा के फायदे - baheda ke fayde


बहेड़ा के फल के 3 से 6 ग्राम चूर्ण की मात्रा भोजन करने के पश्चात फेंकी लेने से पाचन शक्ति तीव्र होती है, पेट की अग्नि तीव्र होती है तथा आमाशय को ताकत मिलती है ।

2. नेत्र ज्योति में बहेड़ा के फायदे-baheda ke fayde


  • बहेड़ा व शक्कर का चूर्ण बराबर मात्रा में प्रतिदिन कने से नेत्र ज्योति में फायदा होता है ।
  • बहेड़ा की छाल का चूर्ण एवम् मधु के साथ उपयोग करने से आंखों की पीड़ा मिटती है ।

3. ज्वर की कमजोरी में बहेड़ा के फायदे - baheda ke fayde


बहेड़ा एवम् जवासा के 40 से 50 ग्राम काढ़े में एक चम्मच घी मिलाकर सुबह दोपहर शाम पीने से कफ तथा पित्त से होने वाले बुखार हट जाता है । और कमजोरी के कारण चक्कर आना व आंखो के सामने अधेरा आने की समस्या समाप्त हो जाती है ।

4. खांसी में बहेड़ा के फायदे -baheda ke Fayde


  • बहेड़ा के छिलके को चूसने से खांसी मिट जाती है ।
  • बकरी के दूध में बहेड़ा, कला नामक, अंदुसा पकाकर सेवन करने से सूखी वी तर खांसी में फायदा होता है ।



5. श्वास रोग में बहेड़ा के फायदे -baheda ke fayde


बहेड़ा की छाल एवम् हरड़ की छाल की बराबर मात्रा का चूर्ण बनाकर इसकी चार ग्राम मात्रा प्रतिदिन लेने से स्वास रोग वी खांसी में फायदा होता है ।

6.  मूत्र संक्रमण में बहेड़ा के फायदे -benefit of baheda in hindi


बहेड़ा के फल की मिंगी का तीन से चार ग्राम चूर्ण  इतनी ही मात्रा में इसमें शहद मिलाकर चाटने से मूत्र संक्रमण में फायदा होता है ।

7. नपुंसक्ता में बहेड़ा के फायदे -baheda ke fayde


बाहेदे के चूर्ण की तीन ग्राम मात्रा में 6 ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह शाम रोज खाने से नमपुनसक्ता ठीक हो जाती है, व्यक्ति फुर्तीला हो जाता है ।

8. बंद गांठ में बहेड़ा के फायदे -baheda ke fayde


बहेड़ा के छिलके को अंडी के तेल में भूनकर फिर सिके में पीसकर बंद गांठ पर हल्के से लेप लगाने से दो से तीन दिन में बंद गांठ बैठ जाती है ।

9. पित्त शोथ में बहेड़ा के फायदे - baheda in hindi


बहेड़ा के फल की में को पीसकर इसका लेप बनाकर पित्तशोथ पर लगाने से पित्तशोथ मेंफायदा होता है ।


10. कंदू के रोग में फायदा करता है बहेड़ा (baheda benefit in hindi)


बहेड़ा के फल की में का तेल कंडू रोग में फायदा करता है । ये जलन को भी शांत करता है । इस तेल की मालिश से खुजली तथा जलन समाप्त हो जाती है ।

11. दस्त में बहेड़ा के फायदे -baheda ke fayde


  • बहेड़ा के पेड़ की छल 2 से 5 ग्राम वी एक से दो नग लोंग दोनों को पीस कर शहद के साथ तीन से चार बार चाटने से दस्त रुक जाते हैं ।
  • भुना हुआ बहेड़ा दो से तीन नग को पीस कर सेवन करने से  पुराने डस्त को भी बंद कर देता है ।


हरड़ बहेड़ा आंवला के फायदे -Benefit of harad baheda amla


आयुर्वेद के अनुसार ये तीन चीजे सही रहे तो मनुष्य स्वस्थ रहता है, इन्हें वात, कफ और पित्त कहा जाता है । जब ये गुण सही मात्रा एवं अनुपात में होते हैं तो हम दैहिक, दैविक एवं भौतिक सुख प्राप्त कर सकते हैं और जब इनका संतुलन ख़राब हो जाता है तब ये तीनों तरह की परेशानियाँ होने लगतीं हैं।

वात, कफ तथा पित्त को पुनः संतुलित कर के हम न केवल शारीरिक बीमारियों को दूर कर सकते हैं बल्कि साथ ही मानसिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक तरक्की भी कर सकते हैं। वात पित्त कफ को सही करने के लिए हमें त्रिफला की अवश्यता होती है ।

त्रिफला हरड़, बहेड़ा, तथा आंवला का मिश्रण होता है । हरड़ बहेड़ा आंवला अर्थात त्रिफला अर्थात तीन फल । हरड़, बहेड़ा एवं आंवला वे तीन फल हैं, जिनका ठीक तरह से प्रयोग कर हम वात, कफ एवं पित्त को फिर एस संतुलित कर सकते हैं ।

त्रिफला के प्रयोग के द्वारा सफ़ेद हुए बाल पुनः काले होने लगते हैं । जबकि आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के अनुसार जो बाल सफ़ेद हो गये हैं वे दुबारा काले नहीं हो सकते हैं ।



त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि:


त्रिफला बनाने के लिये सूखी हुई बड़ी हरड़, बहेड़ा, आंवला की आवश्यकता होती है । तीनों ही फल साफ एवं कीड़े लगे नहीं होने चाहिये। इनकी गुठली निकाल कर बचे हुये भाग का अलग अलग चूर्ण बना लें । बारीक छने हुये तीनों प्रकार के चूर्णों को 1 : 2 : 4 के अनुपात में मिलाकर छान कर चूर्ण तैयार करलें ।

उदहारण के तौर पर यदि 10 ग्राम हरड का चूर्ण लेते हैं तो उसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण और 40 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाएं। 

चूर्ण बनते समय इसके अनुपात का विशेष ध्यान रखें । एक बार में उतना ही चूर्ण तैयार करें जितना कि 3 से 4 महीने में समाप्त जाये । क्योंकि 4 महीने से अधिक पुराने चूर्ण की ताकत समाप्त  होने लगती है। जहां तक हो सके घर पर बने चूर्ण का ही प्रयोग करें ।

बहेड़ा के नुकसान (bahede ke nuksan)


बहेड़ा - baheda का उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, बहेड़ा का उपयोग अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पाचन खराब हो जाता है वी उल्टी होने की संभावना रहती है । 

इस लेख में बहेड़ा के फायदे-baheda ke fayde एवम् इसके नुकसान का वर्णन किया गया है, आशा करते हैं कि यह लेख आप लोगो को अवश्य पसंद आया होगा ।

इस लेख का मूल उद्देश्य लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक करना है । किसी भी गंभीर रोग में इसका सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य लें लेवें ।
धन्यवाद ।