सर्दियों में तिल व तिल के तेल के औषधीय प्रयोग एवम् उपाय

सर्दियों में तिल के औषधीय उपयोग एवम् फायदे


तिल से प्रतेक व्यक्ति परिचित है । सर्दियों में लोग इसके व्यंजन बनाकर बहुत ही चाव से खाते हैं । मकर संक्रांति के समय तिल का विशेष महत्व है, इस समय तिल के लड्डू आदि  बना कर खाए जाते हैं । रंगो के अनुसार तिल काले, सफेद व लाल रंग के होते हैं । औषधीय रूप में काले तिल का तेल अति उत्तम माना जाता है ।



तिल का सेवन करने से जठर अग्नि तीव्र होती है, बुद्धि तीव्र होती है व मेधा शक्ति बढ़ती है । तिल का प्रयोग दांतों के रोग में भी प्रयोग किया जाता है । तिल का तेल त्वचा के लिए बहुत ही लाभ दायक है । तिल के तेल से लगातार मालिश करने से रक्त विकार व वात रोग दूर होते हैं । घाव में तिल की पुल्टिस बनाकर प्रयोग किया जाता है ।

Til ke fayde
तिल

शरीर के किसी भाग में कांटा लग जाए तो तिल के तेल की लगातार मालिश करने से कांटा बाहर निकाल जाता है । ऐसे अनेक रोगी में तिल का उपयोग किया जाता है । तिल की तासीर गर्म होती है, इस लिए इसका सेवन अधिक तर जाड़ों में किया जाता है । लेकिन तिल के तेल का उपयोग भोजन में वर्जित बताया गया है । तिल के तेल का औशधीय प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से किया जा सकता है ।


तिल को भारत में अनेक नामों से जाना जाता  है। इसका अंग्रजी नाम है, इसे तिल, ऐलू, येल्लू, खासू, रासी, तल, नुवल्लू, तिलगाछ आदि नामों से जाना जाता है । तिल के बीज में वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, mucilage, कैलशियम, मैग्नीशियम, खनिज, तथा विटामिन ए, बी, सी, तथा ई पाए जाते हैं । तिल के पत्ते में गोंद जैसा एक पदार्थ होता है । तिल के फूल में glycolipids, तथा फास्फोलीपिड पाए जाते हैं ।


तिल के औषधीय उपयोग


1. सिर के रोग में तिल के उपयोग


  • तिल के पत्ते व इसकी जड़ का क्वाथ बनाकर सिर धोने से व काले तिलों का तेल सिर पर लगाने से बाल मुलायम घने व काले रहते हैं, बाल समय से पहले सफेद नहीं होते हैं ।
  • बालों में रूसी होने पर तिल के फूल व गोक्षुर को समान मात्रा में मिलाकर, इसे घी तथा मधु के साथ पीस कर सिर पर लगाने से रूसी व गंजापन दूर हो जाता है ।
  • तिल के पत्तों को सिरके या जल में पीस कर माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिल जाता है ।

2. पेट के रोग में तिल के उपयोग


  • तिल के 5 ग्राम चूर्ण में स्नान मतरा में मिश्री व बकरी का दूध छ: गुना मिलाकर सेवन करने से रक्त अतिसार में लाभ होता है ।
  • तिल के पत्तों को पानी में भिगो दें, पानी में भिगोने से पानी में लुआब आ जाता है । ये लुआब बच्चो को लगाने से आम अतिसार, जुकाम व मूत्र रोग में फायदा होता है ।

3. आंखों के रोग में तिल के लाभ (benefit of til )


  • तिल के फूलों पर सर्दियों में पड़ी हुई ओस की बूंदों को किसी तरीके से उठा कर शीशी में रख लें, इस ओस को आंखों में डालते रहने सेआंखों के रोग में फायदा होता है ।
  • काले तिल को उबाल कर इसका क्वाथ बनाकर आंखो को धोने से नेत्र रोग दूर होते हैं ।

4. तिल के फायदे प्रजनन संबंधी रोग में


  • गर्भाशय में जमें हुए रुधिर को  बिखेरने के लिए 600 ग्राम तिल के चूर्ण को दिन में 3 बार सेवन करने एवम् उष्ण जल के टब में बैठने से फायदा होता है ।
  • तिल का  क्वाथ बनाकर इसकी 100 ग्राम मात्रा में 2 ग्राम सौंठ व 2 ग्राम कालीमिर्च तथा 2 ग्राम पीपली का चूर्ण मिलाकर 3 बार पीने से मासिक धर्म की रुकावट मिट जाती है ।
  • 1 से 2 ग्राम तिल के चूर्ण को 3 से 4 बार पानी के साथ लेने से मासिक धर्म नियमित होता है । इसके अलावा तिल का काड़ा बनाकर इस काडे की 30 से40 ग्राम मात्रा पीने से भी मासिक धर्म नियमित होता  है ।



5. पथरी में तिल के फायदे (benefit of sesame)


  • तिल की कोपल जो छाया में सूखी हुई हों, की 125 से 250 ग्राम प्रतिदिन खाने से पथरी गल कर बाहर हो जाती है ।
  • तिल के फूलों के छार में 2 चम्मच शहद व 250 ग्राम दूध मिलाकर पी लेने से पथ्री गल कर निकाल जाती है ।

6. तिल से विष का उपचार


  • तिल को पानी में पीस का लेप करने से बिल्ली का काटा विष दूर हो जाता है । तिल एवम् हल्दी को पानी में पीस कर लेप करने से भी विष दूर हो जाता है । तिल को सिरके में पीस कर मलने से ततैए का विष हट जाता है ।
  • तिल व हल्दी को पानी में पीस कर लेप लगाने से मकड़ी का विष दूर हो जाता है ।
  • तिल की लुगदी बनाकर उसे घी के साथ लेने से विषम ज्वर में लाभ होता है

ऊपर बताए फायदों के अलावा तिल का प्रयोग अनेक रोगों में किया जाता है । रात के समय जो बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं, उन्हें लंबे समय तक Til का सेवन करना चाहिए अवश्य लाभ होगा । इसके अलावा सर्दियों में तिल व तिल के तेल का प्रयोग करना चाहिए ।


तिल पोषण से भरपूर होता है  इसका सेवन करते रहना चाहिए, तिल के तेल का सेवन केवल औषधीय प्रयोग में चिकित्सक के परामर्श पर ही करें, इस लेख का मूल उद्देश्य लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक करना है।

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